आज तक भारत में कई गैस रिसाव हुए हैं, उन मे सबसे घातक भोपाल गैस त्रासदी थी | चंद दिन पहले ही विशाखापटनम मे भी गैस रिसाव हुआ| यह औद्योगिक दुर्घटनाविशाखापटनम से करीब 20km दूर आर. आर. वेंकटपुरम गाँव में स्थित एल जी पॉलीमर्स उद्योगमें 7 मई २०२० को प्रातः सुबह 2 बजे के आस-पास हुई |गैस के रिसाव के परिणामस्वरूप वाष्प बादल का निर्माण हुआ और 3 km के दायरे में फैल गया| अतएव एहतियात के तौर पर छह गांवों को खाली कराया गया। इस दुर्घटना में स्टाइरीन गैस के रिसाव से 13 लोगों का देहांत हो गया है औरलगभग350से भी ज़्यादा लोग अस्पतालों में गंभीर रूप से भर्ती हैं|
इस महामारी (कोरोना संक्रमण) के दौरानऔद्योगिक दुर्घटना के कारण विशाखापटनम जैसे विकासशील शहर पर दोहरी विपत्ति आन पड़ी | 24घंटों के भीतर भारत को न केवल विशाखापटनम गैस रिसाव का सामना करना पड़ाअपितु छत्तीसगढ़ राज्य के रायगढ़ शहर में 6 मई को एक पेपर मिल में भी गैस रिसाव हुआ जिससे 3मजदूर अस्पताल में गंभीर रूप से भर्ती हैं और 7 मजदूरों को अस्पताल में भर्ती किया गया तथा तमिल नाड राज्य के नेवेली शहर में स्थित थर्मल पावर प्लांट (ताप विद्युत संयंत्र) में 7 मई को 2 बोइलरों में विस्फोट हुआ जिससे 8 लोग अस्पताल में गंभीर रूप से भर्ती हैं ।
लॉकडाउन और कुशल कर्मचारियों की कमी के दौरान खराब परिचालन और रखरखाव की प्रथा सभी घटनाओं में एक सामान प्रतीत होती है।
- क्या है स्टाइरीन गैस और सांघातिक कैसे है ?
स्टाइरीन गैस लोकप्रिय कार्बनिक विलायक बेंजीन से बनी होती है जो पानी की तरह रंगहीन होती है और इससे निकला वाष्प गैस मे तब्दील हो जाता है |स्टाइरीन गैस वह गैस है जो पॉलिस्टरिन प्लास्टिक, पेंट, टायर, फाइबर ग्लास, फाइबर, रब्बर, पाइपइत्यादि बनाने में काम आता है | जब यह गैस मानव शरीर के अंदर प्रवेश करता है तब यह जलन पैदा करता है तथा प्रत्यक्ष रूप से केंद्रीय स्नायुतंत्र का संघात करता है | इस गैस को जब नाक से लिया जाता है तब यह मात्र 10 मिनट मे असर करने लगता है और एक दुरुस्त व्यक्ति को विक्षिप्त बना देता है| यह बच्चों तथा सांस की समस्या वाले लोगों के लिए अत्यंत घातक है |
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 कि धारा 25 के अनुसार केन्द्रीय सरकार को इस अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नियम बना सकती है । इस प्रावधान के अनुसार केंद्रीय सरकार ने परिसंकटमय रसायनों का विनिर्माण , भण्डारण और आयात नियम,1989 को बनाया । इन नियमों में अनुसूची 1 के भाग 2 में
परिसंकटमय और विषैले रसायनों की सूची दी गई है जिसमे संख्यक 583 पर स्टाइरीन है । इन नियमों के अनुसार स्टाइरीन को एक परिसंकटमय और विषैले रसायन घोषित किया गया है ।
- एल जी पॉलीमर्स उद्योगके बारे में जानकारी
सन 1961 एल जी पॉलीमर्स उद्योगको हिंदुस्तानपॉलिमरज़नाम से स्थापित किया गया था। सन 1978 में हिंदुस्तान पॉलिमरज़ का विलय यू. बी. ग्रुप के मैकडॉवेल एंड कंपनी के साथ कर दिया गया जिसका स्वामित्व श्री विजय माल्या के पास था । 1997 में इसे दक्षिण कोरिया में आधारित एल. जी. केम नामक कंपनी ने उपार्जित कर लिया और तब से यह एल. जी. पॉलीमर्स के नाम से सुप्रसिद्ध है ।
- एल जी पॉलीमर्स उद्योग में गैस रिसाव कि वजह
गैस रिसाव का संभावित कारण स्टोरेज टैंक के अंदर तापमान में बदलाव औरअकर्मण्यताहै , जिसके परिणामस्वरूप स्टाइरीन का ऑटो पॉलीमराइजेशन और वापोरिज़ेशन हो सकते हैं।
हालांकि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने गैस रिसाव की घटना की जांच के लिए 5 सदस्यीयविशेषज्ञसमितिका सूत्रपात किया । इस समिति के अध्यक्ष श्री नीरज कुमार प्रसाद, विशेष मुख्य सचिव (ई.एफ.एस और टी विभाग) होंगे और इसमें श्री करिकाल वालवेन, विशेष मुख्य सचिव (उद्योग), श्रीविनय चंद (विशाखापत्तनम जिला कलेक्टर), श्री आरके मीणा (विशाखापत्तनम के पुलिस आयुक्त) सदस्य होंगे तथाश्री विवेक यादव (सदस्य सचिव, एपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) सदस्य संयोजक के रूप में होंगे।
- गैस रिसाव से संबंधित प्रचलित कानून
भारत में ऐसी दूर्घटनाओं को नियंत्रित करने वाले विभिन्न कानून और निकाय निम्नलिखित हैं :
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम,1986
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत पर्यावरण संरक्षण अधिनियम आया और स्टॉकहोम सम्मेलन,1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा लिए गए मानव पर्यावरण से संबंधित निर्णयों को लागू किया गया । इस अधिनियम को अधिनियमित करने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा तथा उसके लिए सुधार प्रदान करना है । यहअधिनियम केंद्रीय सरकार को मानकों को निर्धारित करने और औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण करने का अधिकार देता है।
- लोक दायित्व बीमा अधिनियम, 1991
यह किसी भी खतरनाक पदार्थ को संभालने के दौरान दुर्घटना से प्रभावित व्यक्तियों को तत्काल राहत प्रदान करने के उद्देश्य से सार्वजनिक देयता बीमा प्रदान करने के लिए अधिनियमित किया गया था । यह किसी भी खतरनाक रसायनों के उत्पादन या संचालन से जुड़े सभी मालिकों पर लागू होता है। अधिनियम के तहत आवेदन करने की समय सीमा दुर्घटना के घटने की तारीख से 5 वर्ष है।बीमाकर्ता, जो पुरस्कार में उल्लिखित राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है, पुरस्कार की घोषणा की तारीख से 30 दिनों के भीतर राशि का भुगतान करना चाहिए और यहपुरस्कार
विपत्ति-ग्रस्त लोगों पर बाध्यकारी है ।
- राष्ट्रीय पर्यावरण अपीलीय प्राधिकार अधिनियम,1997
इस अधिनियमके तहत, राष्ट्रीय पर्यावरण अपीलीय प्राधिकरण उन क्षेत्रों के प्रतिबंध के बारे में अपील सुन सकता है जिसमें किसी भी उद्योग या उद्योगों के वर्ग को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम,1986 के तहत कुछ सुरक्षा उपायों के अधीन नहीं किया जाएगा या किया जाएगा।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
यह प्राधिकरण आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित किया गया हैऔर भारत सरकार का एक शीर्ष निकाय है, जिसमें आपदा प्रबंधन के लिए नीतियां निर्धारित करने का अधिकार है। यह राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ समन्वय के लिए दिशानिर्देशों और सर्वोत्तम प्रथाओं को निर्धारित करने के लिए उत्तरदायी है।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal)
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की स्थापना राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत की गई है। NGT की स्थापना का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संबंधी मुद्दों का तेज़ी से निपटारा करना है, जिससे देश की अदालतों में लगे मुकदमों के बोझ को कुछ कम किया जा सके।
- इस दुर्घटना में कानूनी एवं वैधिककार्यवाही
- आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने गैस रिसाव की घटना की जांच के लिए 5 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का सूत्रपात किया । इस समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार प्रसाद, विशेष मुख्य सचिव (ई.एफ.एस और टी विभाग) होंगे और इसमें करिकाल वालवेन, विशेष मुख्य सचिव (उद्योग), विनय चंद (विशाखापत्तनम जिला कलेक्टर), आरके मीणा (विशाखापत्तनम के पुलिस आयुक्त) सदस्य होंगे तथा विवेक यादव (सदस्य सचिव, एपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) सदस्य संयोजक के रूप में होंगे।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरणने एलजी पॉलिमर उद्योग पर 50 करोड़ रुपये का अंतरिम जुर्माना लगायाऔर “जीवन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान” के लिए केंद्र और अन्य से प्रतिक्रिया मांगी । अधिकरण के आदेश में यह कहा गया है कि : “इस तरह के खतरनाक गैस का रिसाव सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, यह खतरनाक या अंतर्निहित खतरनाक उद्योग में लगे उद्यम के खिलाफ स्पष्ट रूप से ‘सख्त दायित्व'(strict liability) के सिद्धांत को आकर्षित करता है।”
- “सख्त दायित्व”सिद्धांत क्या है ?
सख्त दायित्व के सिद्धांत में कहा गया है कि एक व्यक्ति जो नुकसान पहुंचाने के लिए अपनी भूमि पर कुछ भी लाता है, जब बात बच जाती है और नुकसान का कारण बनता है तो वह क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है। हालांकि, वह तभी उत्तरदायी है जब भूमि का गैर-प्राकृतिक उपयोग हो; सिद्धांत भी दायित्व को प्रतिबंधित करता है जब पलायन अजनबियों के कार्य के कारण होता है, भगवान का, घायल व्यक्ति के कारण, जब यह घायल व्यक्ति की सहमति से या वैधानिक अधिकार के साथ होता है।
- “पूर्ण दायित्व” सिद्धांत क्या है ?
पूर्ण दायित्व के सिद्धांत के अनुसारयदि कोई व्यक्ति स्वाभाविक रूप से खतरनाक या खतरनाक गतिविधि में लिप्त है, और यदि किसी व्यक्ति को किसी भी दुर्घटना के कारण कोई नुकसान होता है जो इस तरह के खतरनाक और खतरनाक गतिविधि को अंजाम देने के दौरान हुआ है, तो वह व्यक्ति इस तरह की गतिविधि को पूरी तरह से उत्तरदायी माना जाएगा।यह सिद्धांत एम.सी. महता बनाम भारतीय संघ के मुकदमे में प्रकट हुआ और इसका पालन भोपाल गैस त्रासदी में भी किया गया।
- सख्त दायित्व के तत्व
सख्त दायित्व का गठन करने के लिएनिम्नलिखित तीन स्थितियों को एक साथ संतुष्ट करने की आवश्यकता है:
- परिसंकटमयपदार्थ या रसायन : सख्त दायित्व को लागू करने के उद्देश्य से, एकपरिसंकटमय पदार्थ को किसी भी पदार्थ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो बचने पर कुछ शरारत या नुकसान का कारण होगा। विस्फोटक, जहरीली गैस, बिजली आदि जैसी चीजों को खतरनाक चीजें कहा जा सकता है।
इस दुर्घटना में स्टाइरीन गैस को एक परिसंकटमय और विषैले रसायन घोषित किया गया है ।
- पलायन :प्रतिवादी को सख्ती से उत्तरदायी बनाने के लिए एक और आवश्यक शर्त यह है कि पदार्थ को परिसर से भाग जाना चाहिए और उसके भागने के बाद प्रतिवादी की पहुंच के भीतर नहीं होना चाहिए।उदाहरण के लिए, प्रतिवादी के पास अपनी संपत्ति पर कुछ जहरीला पौधा है। पौधे से पत्तियां वादी की संपत्ति में प्रवेश करती हैं और उनके मवेशियों द्वारा खाया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वे मर जाते हैं। नुकसान के लिए प्रतिवादी उत्तरदायी होगा।
- गैर-प्राकृतिक उपयोग : सख्त दायित्व का गठन करने के लिए, भूमि का गैर-प्राकृतिक उपयोग होना चाहिए।
चूँकि दुर्घटना में उपर्युक्त स्थितियाँ मौजूद थींइसलिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने इस सिद्धांत को लागू किया।
- एलजी पॉलिमर उद्योग ने आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (APPCB) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया है।हालांकि मामले की वास्तविक सामग्री अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि यह मानहानि का मुकदमा है।
- निष्कर्ष :
वर्तमान की सर्वव्यापी महामारी को देखते हुए, भारत को ऐसे उद्योगों पर प्रबंधन में सुधार के साथ-साथ बेहतर कानून बनाने की आवश्यकता है ताकि मानव निर्मित आपदाओं / दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
By-
Saguna Sinha